सामवेद (अध्याय 16)
आ घा ये अग्निमिन्धते स्तृणन्ति बर्हिरानुषक् । येषामिन्द्रो युवा सखा ॥ (१)
इंद्र जवान व यजमान के मित्र हैं. यजमान अग्नि को प्रज्वलित करते हैं. यजमान देवताओं के लिए कुश के आसन बिछाते हैं. (१)
Indra is a friend of the young and the host. Hosts ignite agni. The hosts lay the seats of Kush for the gods. (1)