हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 16.12.2

अध्याय 16 → खंड 12 → मंत्र 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 16)

सामवेद: | खंड: 12
बृहन्निदिध्म एषां भूरि शस्त्रं पृथुः स्वरुः । येषामिन्द्रो युवा सखा ॥ (२)
यजमान के पास देवताओं के लिए भरपूर समिधाएं, प्रचुर शस्त्र, अगणित प्रार्थनाएं हैं. इंद्र इन यजमानों के मित्र हैं और वे सदा जवान हैं. (२)
The host has plenty of samidhas, abundant weapons, countless prayers for the gods. Indra is a friend of these hosts and he is always young. (2)