हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 16.3.6

अध्याय 16 → खंड 3 → मंत्र 6 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 16)

सामवेद: | खंड: 3
एतं त्यँ हरितो दश मर्मृज्यन्ते अपस्युवः । याभिर्मदाय शुम्भते ॥ (६)
इंद्र को प्रसन्न करने के लिए सोमयाग किया जाता है. दसों अंगुलियां मसलमसल कर सोमरस को शुद्ध करती हैं. (६)
Somayag is done to please Indra. Ten fingers muscles and purify someras. (6)