हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 18.1.10

अध्याय 18 → खंड 1 → मंत्र 10 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 18)

सामवेद: | खंड: 1
स वीरो दक्षसाधनो वि यस्तस्तम्भ रोदसी । हरिः पवित्रे अव्यत वेधा न योनिमासदम् ॥ (१०)
सोम पवित्र, हरे, पोषक, वीर व उत्तम रसायनों से भरे हैं. वे स्वर्गलोक और पृथ्वीलोक को अपने प्रकाश से भर देते हैं. द्रोणकलश में यजमान के घर जाने की तरह प्रवेश करते हैं. (१०)
Som is holy, green, nutritious, heroic and full of fine chemicals. They fill heaven and earth with their light. They enter Dronakalash like going to the host's house. (10)