हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 18.6.4

अध्याय 18 → खंड 6 → मंत्र 4 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 18)

सामवेद: | खंड: 6
यज्जायथा अपूर्व्य मघवन्वृत्रहत्याय । तत्पृथिवीमप्रथयस्तदस्तभ्ना उतो दिवम् ॥ (४)
हे इंद्र! शत्रु नाश हेतु आप प्रकट हों. आप के कारण स्वर्गलोक को स्थिरता व पृथ्वीलोक को दृढ़ता मिली. (४)
O Indra! You appear to destroy the enemy. Because of you, heaven got stability and earth got firmness. (4)