हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 19.6.7

अध्याय 19 → खंड 6 → मंत्र 7 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 19)

सामवेद: | खंड: 6
त्रिकद्रुकेषु महिषो यवाशिरं तुविशुष्मस्तृम्पत्सोममपिबद्विष्णुना सुतं यथावशम् । स ईं ममाद महि कर्म कर्तवे महामुरुँ सैनँ सश्चद्देवो देवँ सत्य इन्दुः सत्यमिन्द्रम् ॥ (७)
सोम सर्वव्यापक प्रकाशमान इंद्र को आनंद देते हैं, जिस से वे और भी अधिक महान काम कर सकें. वे सत्यवान और देव स्वरूप हैं. तीन खुक (पात्र) में निकाले गए जौ के साथ मिले हुए सोमरस को इंद्र विष्णु के साथ पीते हैं. (७)
Soma gives pleasure to the omnipresent enlightening Indra, so that he can do even greater work. They are satyavan and dev swaroop. Indra drinks someras mixed with barley extracted in three khuk (vessels) with Vishnu. (7)