हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 2.1.2

अध्याय 2 → खंड 1 → मंत्र 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 2)

सामवेद: | खंड: 1
यस्ते नूनँ शतक्रतविन्द्र द्युम्नितमो मदः । तेन नूनं मदे मदेः ॥ (२)
हे इंद्र! आप सैकड़ों कर्म करने वाले हैं अथवा आप सैकड़ों प्रकार का ज्ञान रखने वाले हैं. वह सोमरस हम ने आप ही के लिए निकाला था. आप उस रस को पी कर आनंदित होइए और हमें भी आनंद प्रदान कीजिए. (२)
O Indra! You are going to do hundreds of deeds or you are going to have hundreds of types of knowledge. That somers we took out for you. You enjoy drinking that juice and give us pleasure too. (2)