हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 2.11.1

अध्याय 2 → खंड 11 → मंत्र 1 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 2)

सामवेद: | खंड: 11
आ व इन्द्र कृविं यथा वाजयन्तः शतक्रतुम् । मँहिष्ठँ सिञ्च इन्दुभिः ॥ (१)
हे यजमानो! जैसे अन्न चाहने वाले खेत को जल से सींचते हैं, वैसे ही बल (पराक्रम) चाहने वाले हम पूजनीय इंद्र को सोमरस से सींचते हैं. (१)
O hosts! Just as those who want food irrigate the field with water, similarly those who want force (might) water the revered Indra with someras. (1)