हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 2.12.3

अध्याय 2 → खंड 12 → मंत्र 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 2)

सामवेद: | खंड: 12
उक्थं च न शस्यमानं नागो रयिरा चिकेत । न गायत्रं गीयमानम् ॥ (३)
स्तुति न करने वाले इंद्र के शत्रु हैं. इंद्र यजमानों द्वारा पढ़े गए स्तोत्रों को अच्छी तरह जानते हैं. इंद्र पुरोहित के गाए गए साम को भी जानते व समझते हैं. हम इंद्र की स्तुति करते हैं. (३)
Those who do not praise are enemies of Indra. Indra knows the hymns read by the hosts very well. Indra also knows and understands the saam sung by Purohit. We praise Indra. (3)