हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 2.3.5

अध्याय 2 → खंड 3 → मंत्र 5 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 2)

सामवेद: | खंड: 3
सोमानाँ स्वरणं कृणुहि ब्रह्मणस्पते । कक्षीवन्तं य औशिजः ॥ (५)
हे ब्रह्मणस्पति! आप सोम यज्ञ करने वाले उशिज के पुत्र कक्षीवान को प्रकाशित करने की कृपा कीजिए. (५)
O Brahmanaspati! Please illuminate The Chamber, the son of Usija, who performed the Soma Yagya. (5)