सामवेद (अध्याय 20)
आदीं के चित्पश्यमानास आप्यं वसुरुचो दिव्या अभ्यनूषत । दिवो न वारँ सविता व्यूर्णुते ॥ (७)
तत्पश्चात वसुरुच देवगण सोम का दर्शन करते हैं. अंधेरे को दूर करने वाले सूर्य के उगने से पहले पूजनीय सोम की स्तुति की जाती है. यह स्तुति ऐसे की जाती है, जैसे आदरणीय भाई की की जाती है. (७)
After that, Vasuruch Devgan sees Soma. The revered Soma is praised before the sun that removes darkness rises. This praise is done as if the respected brother is done. (7)