सामवेद (अध्याय 20)
आ नो अग्ने रयिं भर सत्रासाहं वरेण्यम् । विश्वासु पृत्सु दुष्टरम् ॥ (२)
हे अग्नि! आप भरपूर धन दीजिए. आप शत्रुनाशक श्रेष्ठ सामर्थ्य दीजिए. आप सभी दुष्टों को दूर कीजिए. आप सभी वैभव हमें प्रदान कीजिए. (२)
O agni! You give a lot of money. You give the best power to the enemy. You remove all the wicked. Give us all your glory. (2)