हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 21.1.2

अध्याय 21 → खंड 1 → मंत्र 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 21)

सामवेद: | खंड: 1
त्वं जामिर्जनानामग्ने मित्रो असि प्रियः । सखा सखिभ्य ईड्यः ॥ (२)
हे अग्नि! मनुष्यों में कौन आप का मित्र है, प्रिय है? सखा सखियों में कौन आप को सर्वाधिक प्रिय है? (२)
O agni! Who among men is your friend, dear? Who among the Sakha Sakhis is most dear to you? (2)