हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 21.3.1

अध्याय 21 → खंड 3 → मंत्र 1 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 21)

सामवेद: | खंड: 3
अदाभ्यः पुरएता विशामग्निर्मानुषीणाम् । तूर्णी रथः सदा नवः ॥ (१)
हे अग्नि! आप मनुष्यों के पथप्रदर्शक, आगे चलने वाले, रथ के समान वेगवान व युवा हैं. आप को कोई नहीं दबा सकता है. (१)
O agni! You are the guide of human beings, the one who walks forward, as fast and young as a chariot. No one can press you. (1)