सामवेद (अध्याय 24)
विव्यक्थ महिना वृषन्भक्षँ सोमस्य जागृवे । य इन्द्र जठरेषु ते ॥ (५)
हे इंद्र! आप जाग्रत व शक्तिमान हैं. सोम के कारण आप की ख्याति बहुत व्यापक है. आप के जठर (पेट) में पहुंचा हुआ सोम भी प्रशंसा प्राप्त करता है. (५)
O Indra! You are awake and powerful. Due to Mon, your reputation is very wide. The SOM reached in your stomach also receives praise. (5)