हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 24.1.6

अध्याय 24 → खंड 1 → मंत्र 6 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 24)

सामवेद: | खंड: 1
अरं त इन्द्र कुक्षये सोमो भवतु वृत्रहन् । अरं धामभ्य इन्दवः ॥ (६)
हे इंद्र! आप ने वृत्रासुर का हनन किया. हम ने आप को जो सोमरस भेंट किया, वह आप के लिए भरपूर हो. वह सोमरस अन्य देवताओं के लिए भी भरपूर हो. (६)
O Indra! You violated Vritrasura. May the somerus we have presented to you be abundant for you. May that Someras be plentiful to other gods too. (6)