सामवेद (अध्याय 24)
अरं त इन्द्र कुक्षये सोमो भवतु वृत्रहन् । अरं धामभ्य इन्दवः ॥ (६)
हे इंद्र! आप ने वृत्रासुर का हनन किया. हम ने आप को जो सोमरस भेंट किया, वह आप के लिए भरपूर हो. वह सोमरस अन्य देवताओं के लिए भी भरपूर हो. (६)
O Indra! You violated Vritrasura. May the somerus we have presented to you be abundant for you. May that Someras be plentiful to other gods too. (6)