सामवेद (अध्याय 24)
जराबोध तद्विविड्ढि विशेविशे यज्ञियाय । स्तोमँ रुद्राय दृशीकम् ॥ (७)
हे अग्नि! आप को प्रार्थनाओं से प्रज्वलित किया जाता है. आप बारबार यजमानों के कल्याण के लिए यज्ञ मंडप में प्रकट होने की कृपा कीजिए. यजमान रुद्र के लिए अच्छे स्तोत्र बोले. (७)
O agni! You are ignited by prayers. Please again and again appear in the Yagya Mandap for the welfare of the hosts. The host spoke good hymns for Rudra. (7)