हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 24.2.11

अध्याय 24 → खंड 2 → मंत्र 11 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 24)

सामवेद: | खंड: 2
इन्द्राय सोम पातवे वृत्रघ्ने परि षिच्यसे । नरे च दक्षिणावते देवाय सदनासदे ॥ (११)
हे इंद्र! आप ने वृत्रासुर का नाश किया. आप दक्षिणा दाता हैं. आप को मद देने के लिए द्रोणकलश में स्थिर किया जाता है. यजमानों की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सोमरस को सत्पात्र में रखा जाता है. (११)
O Indra! You destroyed Vritrasura. You are a dakshina donor. You are fixed in Dronakalsh to give the item. Someras is kept in satpatra to fulfill the wishes of the hosts. (11)