सामवेद (अध्याय 24)
अस्तावि मन्म पूर्व्यं ब्रह्मेन्द्राय वोचत । पूर्वीरृतस्य बृहतीरनूषत स्तोतुर्मेधा असृक्षत ॥ (९)
हे यजमानो! आप इंद्र के लिए प्रार्थनाएं याद कीजिए, उन प्रार्थनाओं को गाइए. पहले य॒ज्ञों में हम ने बृहती छंद में साम गाए. इस से यजमानो में बुद्धि उपजती है और वह बुद्धि मंजती है. (९)
O hosts! You remember the prayers for Indra, sing those prayers. In the first yajnas, we sang saam in great verses. This produces wisdom in the hosts and they acquire wisdom. (9)