हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 24.3.5

अध्याय 24 → खंड 3 → मंत्र 5 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 24)

सामवेद: | खंड: 3
विभूतरातिं विप्र चित्रशोचिषमग्निमीडिष्व यन्तुरम् । अस्य मेधस्य सोम्यस्य सोभरे प्रेमध्वराय पूर्व्यम् ॥ (५)
हे ब्राह्मणो! आप अग्नि की उपासना कीजिए. यज्ञ की सफलता के लिए आप को यह उपासना करनी है. वे अतिशय वैभवदाता, प्रकाशमान, श्रेष्ठ और यज्ञ के प्रमुख हैं. (५)
O Brahmins! You worship agni. For the success of yajna, you have to do this worship. He is the great splendor, the shining, the superior and the head of the yajna. (5)