सामवेद (अध्याय 24)
तोशा वृत्रहणा हुवे सजित्वानापराजिता । इन्द्राग्नी वाजसातमा ॥ (४)
हे इंद्र! हे अग्नि! आप वृत्रनाश से संतोष करते हैं. आप को कोई पराजित नहीं कर सकता. आप उपासकों को प्रचुर धन देते हैं. हम आप की उपासना करते हैं. (४)
O Indra! O agni! You are satisfied with vritranash. No one can defeat you. You give abundant wealth to worshippers. We worship you. (4)