हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 25.1.14

अध्याय 25 → खंड 1 → मंत्र 14 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 25)

सामवेद: | खंड: 1
मा ते राधाँसि मा त ऊतयो वसोऽस्मान्कदा चना दभन् । विश्वा च न उपमिमीहि मानुष वसूनि चर्षणिभ्य आ ॥ (१४)
हे इंद्र! आप के धन कभी भी हमारे लिए हानिकारक न हों. आप के रक्षा साधन भी कभी हमें हानि न पहुंचाएं. आप संसार के शरणदाता हैं. आप मनुष्यों को सभी धन देने की कृपा कीजिए. (१४)
O Indra! Your money should never be harmful to us. Your defense means should never harm us. You are the refuge of the world. Please give all the money to human beings. (14)