हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद (अध्याय 25)

सामवेद: | खंड: 2
प्रति ष्या सूनरी जनी व्युच्छन्ती परि स्वसुः । दिवो अदर्शि दुहिता ॥ (१)
उषा सूर्य की बेटी हैं. वे श्रेष्ठ नारी हैं. वे अपना प्रकाश चारों ओर फैलाती हुई जाती हैं. दिन के न दिखाई देने पर वे अपना प्रकाश फैलाती हैं. (१)
Usha is the daughter of Surya. They are the best women. They spread their light all around. They spread their light when the day is not visible. (1)

सामवेद (अध्याय 25)

सामवेद: | खंड: 2
अश्वेव चित्रारुषी माता गवामृतावरी । सखा भूदश्विनोरुषाः ॥ (२)
उषा रश्मियों की मां हैं. वे रशमियां अदभुत और चमकीली हैं. वे अश्विनीकुमारों की मित्र हैं. (२)
Usha is the mother of rashmis. Those rashmis are amazing and bright. She is a friend of Ashwinikumars. (2)

सामवेद (अध्याय 25)

सामवेद: | खंड: 2
उत सखास्यश्विनोरुत माता गवामसि । उतोषो वस्व ईशिषे ॥ (३)
उषा उपासना के योग्य हैं. वे रश्मियों की मां हैं और अश्विनीकुमारों की मित्र हैं. (३)
Usha is worthy of worship. She is the mother of Rashmis and a friend of Ashwinikumars. (3)

सामवेद (अध्याय 25)

सामवेद: | खंड: 2
एषो उषा अपूर्व्य व्युच्छति प्रिया दिवः । स्तुषे वामश्विना बृहत् ॥ (४)
हे अश्विनी! उषा अपूर्व, प्रिय व दिन लाती हैं. हम विशाल स्तोत्रों से उन की उपासना करते हैं. (४)
O Ashwini! Usha brings unique, dear and day. We worship him with huge hymns. (4)

सामवेद (अध्याय 25)

सामवेद: | खंड: 2
या दस्रा सिन्धुमातरा मनोतरा रयीणाम् । धिया देवा वसुविदा ॥ (५)
हे अश्विनीकुमारो! आप बुद्धिमानों के धनदाता हैं. आप नदियों को पैदा करने वाले, मनोहर व धनवान हैं. (५)
O Ashwinikumaro! You are the richest of the wise. You are the creator of rivers, beautiful and rich. (5)

सामवेद (अध्याय 25)

सामवेद: | खंड: 2
वच्यन्ते वां ककुहासो जूर्णायामधि विष्टपि । यद्वाँ रथो विभिष्पतात् ॥ (६)
जब आप दोनों अश्विनीकुमारों का रथ पक्षी की भांति उड़ कर ऊपर जाता है तब आप दोनों के लिए स्वर्ग में भी स्तोत्र पढ़े जाते हैं. (६)
When the chariot of both of you Ashwinikumars flies up like a bird, then stotras are also read in heaven for both of you. (6)

सामवेद (अध्याय 25)

सामवेद: | खंड: 2
उषस्तच्चित्रमा भरास्मभ्यं वाजिनीवति । येन तोकं च तनयं च धामहे ॥ (७)
हे उषा! आप धनवती और यज्ञ कार्य भी आरंभ करने वाली हैं. आप अद्भुत वैभव दीजिए, जिस से हम संतान और अपने मित्रों का भरणपोषण करने में समर्थ हो सकें. (७)
O Usha! You are also going to start Dhanvati and Yagya work. May you give wonderful glory, so that we can be able to feed children and our friends. (7)

सामवेद (अध्याय 25)

सामवेद: | खंड: 2
उषो अद्येह गोमत्यश्वावति विभावरि । रेवदस्मे व्युच्छ सूनृतावति ॥ (८)
हे उषा! आप गोवती व अश्ववती हैं. आप रात्रि के बाद दिन लाने वाली हैं. आप हमें पुत्र और धन दीजिए. (८)
O Usha! You are Govati and Ashwavati. You are going to bring day after night. You give us sons and money. (8)
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