सामवेद (अध्याय 25)
एषो उषा अपूर्व्य व्युच्छति प्रिया दिवः । स्तुषे वामश्विना बृहत् ॥ (४)
हे अश्विनी! उषा अपूर्व, प्रिय व दिन लाती हैं. हम विशाल स्तोत्रों से उन की उपासना करते हैं. (४)
O Ashwini! Usha brings unique, dear and day. We worship him with huge hymns. (4)