सामवेद (अध्याय 26)
अभि द्विजन्मा त्री रोचनानि विश्वा रजाँसि शुशुचनो अस्थात् । होता यजिष्ठो अपाँ सधस्थे ॥ (११)
हे अग्नि! आप पृथ्वीलोक, अंतरिक्षलोक और स्वर्गलोक तीनों को प्रकाशित करते हैं. आप देवताओं को बुलाने वाले हैं. आप जल में बड़वानल के रूप में विराजमान रहते हैं. आप यज्ञस्थान में यज्ञाग्नि के रूप में सुशोभित होते हैं. (११)
O agni! You illuminate earth, space and heaven. You are going to call the gods. You sit in the water as a badvanal. You are adorned as a yajnaagni in the yajnasthan. (11)