सामवेद (अध्याय 26)
सुषहा सोम तानि ते पुनानाय प्रभूवसो । वर्धा समुद्रमुक्थ्यम् ॥ (३)
हे सोम! आप धनवान, उपासना के योग्य, पवित्र, बहुत शक्तिशाली हैं और रक्षक हैं. आप समुद्र के समान इस पात्र को भर देने की कृपा कीजिए. (३)
O Mon! You are rich, worthy of worship, holy, very powerful and protector. Please fill this vessel like the sea. (3)