हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद (अध्याय 3)

सामवेद: | खंड: 1
अभि त्वा शूर नोनुमोऽदुग्धा इव धेनवः । ईशानमस्य जगतः स्वर्दृशमीशानमिन्द्र तस्थुषः ॥ (१)
हे इंद्र! आप इस जग के व जड़चेतन के स्वामी हैं. आप सब कुछ देख सकते हैं. जैसे थनों में दूध लिए गाएं बछड़ों के पास जाने के लिए उतावली रहती हैं, वैसे ही हम उतावले हो कर आप को प्रणाम करते हैं. (१)
O Indra! You are the master of this world and the root consciousness. You can see everything. Just as cows with milk in the udders are eager to go to the calves, we bow down to you in a hurry. (1)

सामवेद (अध्याय 3)

सामवेद: | खंड: 1
त्वामिद्धि हवामहे सातौ वाजस्य कार्वः । त्वां वृत्रेष्विन्द्र सत्पतिं नरस्त्वां काष्ठास्वर्वतः ॥ (२)
हे इंद्र! स्तुति करने वाले यजमान हवि दान के लिए आप को आमंत्रित करते हैं. आप सत्य (या सज्जनो) के पालनहार हैं. हम तथा दूसरे सभी शत्रु या घोड़ों से संबंधित युद्धों में मदद के लिए आप को ही पुकारते हैं. (२)
O Indra! The praising host invites you to donate. You are the sustainer of truth (or gentlemen). We and all others call on you to help in enemies or horse-related wars. (2)

सामवेद (अध्याय 3)

सामवेद: | खंड: 1
अभि प्र वः सुराधसमिन्द्रमर्च यथा विदे । यो जरितृभ्यो मघवा पुरूवसुः सहस्रेणेव शिक्षति ॥ (३)
हे यजमानो! इंद्र पशु आदि बहुत प्रकार के धन वाले हैं. वे अपनी स्तुति करने वाले को बहुविध धन देते हैं. आप श्रेष्ठ धन देने वाले इंद्र की हर प्रकार से पूजाअर्चना करें. (३)
O hosts! Indra animals etc. have many types of wealth. They give a lot of money to those who praise them. You should worship Indra, who gives the best wealth, in every way. (3)

सामवेद (अध्याय 3)

सामवेद: | खंड: 1
तं वो दस्ममृतीषहं वसोर्मन्दानमन्धसः । अभि वत्सं न स्वसरेषु धेनव इन्द्रं गीर्भिर्नवामहे ॥ (४)
हे यजमानो! जैसे गाएं बछड़ों को देख कर खुशी से रंभाती हैं, वैसे ही आप भी सोमरस पीने से प्रसन्न इंद्र के लिए स्तुति गाइए. वे शत्रुओं (दुःखों) का नाश करने वाले हैं. (४)
O hosts! Just as cows are happy to see calves, similarly you should also sing praises for Indra, pleased with drinking someras. They are the destroyers of enemies (sorrows). (4)

सामवेद (अध्याय 3)

सामवेद: | खंड: 1
तरोभिर्वो विदद्वसुमिन्द्रँ सबाध ऊतये । बृहद्गायन्तः सुतसोमे अध्वरे हुवे भरं न कारिणम् ॥ (५)
हे यजमानो! इंद्र के बहुत तेज गति वाले घोड़े हैं. वे इंद्र बहुत धनदाता हैं. वे बाधाओं से हमारी रक्षा करते हैं. हम बृहत्साम गाते हुए उन को उसी प्रकार रक्षा के लिए बुलाते हैं, जैसे बच्चे अपनी रक्षा के लिए अपने मातापिता को बुलाते हैं. (५)
O hosts! Indra has very fast-paced horses. He is a very rich indra. They protect us from obstacles. We sing Brihatsam and call them for protection in the same way as children call their parents to protect themselves. (5)

सामवेद (अध्याय 3)

सामवेद: | खंड: 1
तरणिरित्सिषासति वाजं पुरन्ध्या युजा । आ व इन्द्रं पुरुहूतं नमे गिरा नेमिं तष्टेव सुद्रुवम् ॥ (६)
इंद्र तारनहार हैं. हम बुद्धि से अन्न प्राप्त करना चाहते हैं. जैसे बढ़ई अपनी कारीगरी से लकड़ी को नम्र कर के पहिए को गाड़ी के अनुकूल कर लेता है, वैसे ही हम इंद्र देव को अपनी स्तुतियों से अपने अनुकूल करना चाहते हैं. (६)
Indra is a saviour. We want to get food from our intellects. Just as the carpenter humbles the wood with his workmanship and adapts the wheel to the car, in the same way, we want to adapt Indra Dev to ourselves with our praises. (6)

सामवेद (अध्याय 3)

सामवेद: | खंड: 1
पिबा सुतस्य रसिनो मत्स्वा न इन्द्र गोमतः । आपिर्नो बोधि सधमाद्ये वृधे३ऽस्माँ अवन्तु ते धियः ॥ (७)
हे इंद्र! आप गाय का दूध मिला कर तैयार किए हुए रसीले सोमरस को पीजिए. उसे पी कर आप प्रसन्न होइए. आप हमें धन देने वाले बंधु बनिए. आप हमें प्रगति की राह दिखाइए. आप की बुद्धि हम यजमानों की रक्षा करे. (७)
O Indra! You should drink succulent somers prepared by mixing cow's milk. You are happy to drink it. You become brothers who give us money. You show us the path to progress. May your wisdom protect us hosts. (7)

सामवेद (अध्याय 3)

सामवेद: | खंड: 1
त्वँ ह्येहि चेरवे विदा भगं वसुत्तये । उद्वावृषस्व मघवन्गविष्टय उदिन्द्राश्वमिष्टये ॥ (८)
हे इंद्र! आप मुझे धन देने के लिए आइए. अच्छे आचारविचार वाले हम लोगों को राह दिखाइए व धन दीजिए. हम गायों के इच्छुक हैं. हमें गोधन दीजिए. हम घोड़ों के इच्छुक हैं. हमें अश्वधन दीजिए. (८)
O Indra! You come to give me money. Show the way to us with good conduct and give money. We are keen on cows. Give us godhon. We are willing to have horses. Give us horse money. (8)
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