हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 3.1.1

अध्याय 3 → खंड 1 → मंत्र 1 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 3)

सामवेद: | खंड: 1
अभि त्वा शूर नोनुमोऽदुग्धा इव धेनवः । ईशानमस्य जगतः स्वर्दृशमीशानमिन्द्र तस्थुषः ॥ (१)
हे इंद्र! आप इस जग के व जड़चेतन के स्वामी हैं. आप सब कुछ देख सकते हैं. जैसे थनों में दूध लिए गाएं बछड़ों के पास जाने के लिए उतावली रहती हैं, वैसे ही हम उतावले हो कर आप को प्रणाम करते हैं. (१)
O Indra! You are the master of this world and the root consciousness. You can see everything. Just as cows with milk in the udders are eager to go to the calves, we bow down to you in a hurry. (1)