हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 3.11.1

अध्याय 3 → खंड 11 → मंत्र 1 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 3)

सामवेद: | खंड: 11
त्यमू षु वाजिनं देवजूतँ सहोवानं तरुतारँ रथानाम् । अरिष्टनेमिं पृतनाजमाशुँ स्वस्तये तार्क्ष्यमिहा हुवेम ॥ (१)
हे यजमानो! हम अपने कल्याण के लिए ताक्ष्य (गरुड़) का आह्वान करते हैं. वे देवदूत और बलवान हैं. वे युद्धों में हमारा भला कर सकते हैं. वे शत्रुजित्‌ व अबाध गति वाले हैं. वे बहुत तेज गति से उड़ने में समर्थ हैं. (१)
O hosts! We invoke Takshya (Garuda) for our welfare. They are angels and strong. They can do us good in wars. They are hostile and uninhibited. They are capable of flying at a very fast speed. (1)