हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 3.2.7

अध्याय 3 → खंड 2 → मंत्र 7 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 3)

सामवेद: | खंड: 2
इन्द्रमिद्देवतातय इन्द्रं प्रयत्यध्वरे । इन्द्रँ समीके वनिनो हवामह इन्द्रं धनस्य सातये ॥ (७)
देवों के लिए किए जाने वाले यज्ञ में हम इंद्र को ही आमंत्रित करते हैं. यज्ञ के शुरू और समापन दोनों ही समय हम इंद्र को आमंत्रित करते हैं. धन लाभ के लिए हम इंद्र को ही आमंत्रित करते हैं. आप शीघ्र पधारिए. (७)
We invite Indra to the yagna performed for the gods. Both at the beginning and the end of the yajna, we invite Indra. We invite Indra only for money gain. You come soon. (7)