सामवेद (अध्याय 3)
पाहि गा अन्धसो मद इन्द्राय मेध्यातिथे । यः सम्मिश्लो हर्योर्यो हिरण्यय इन्द्रो वज्री हिरण्ययः ॥ (७)
हे इंद्र! आप यज्ञ में मेहमान बनने वाले हैं. आप सोमरस पी कर, प्रसन्न हो कर हमारी गायों की रक्षा कीजिए. आप हरि नामक घोड़े को रथ में जोतते हैं. आप वज्र धारण करने वाले, सुंदर, हित साधने वाले और सुनहरे रथ वाले हैं. (७)
O Indra! You are going to be a guest in the yagna. You drink someras, please protect our cows. You plough a horse called Hari in a chariot. You are a vajra-wearing, beautiful, selfish and golden chariot. (7)