हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 3.9.4

अध्याय 3 → खंड 9 → मंत्र 4 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 3)

सामवेद: | खंड: 9
सुष्वाणास इन्द्र स्तुमसि त्वा सनिष्यन्तश्चित्तुविनृम्ण वाजम् । आ नो भर सुवितं यस्य कोना तना त्मना सह्यामा त्वोताः ॥ (४)
हे इंद्र! आप बहुत धन देने वाले हैं. सोमरस निचोड़ने वाले यमराज आप की स्तुति करते हैं. पुरोडाश पकाने वाले यजमान आप की स्तुति करते हैं. आप हमें हमारा चाहा गया धन दीजिए. हम आप से शक्ति पा कर बहुत धन पाते हैं. (४)
O Indra! You are going to give a lot of money. Yamraj, who squeezes somers, praises you. The hosts who cook purodash praise you. You give us our desired money. We get a lot of money by getting power from you. (4)