हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 4.1.5

अध्याय 4 → खंड 1 → मंत्र 5 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 4)

सामवेद: | खंड: 1
यदी वहन्त्याशवो भ्राजमाना रथेष्वा । पिबन्तो मदिरं मधु तत्र श्रवाँसि कृण्वते ॥ (५)
मरुद्‌ आनंददायी हैं. वे मीठा सोमरस पीते और अन्न उपजाते हैं. वे तेजस्वी एवं तीव्र गतिमान हैं. वे इंद्र को यज्ञवेदी तक पहुंचाते हैं. (५)
The desert is blissful. They drink sweet somers and grow food. They are stunning and fast moving. They take Indra to the Yagyavedi. (5)