हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 4.11.7

अध्याय 4 → खंड 11 → मंत्र 7 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 4)

सामवेद: | खंड: 11
वि स्रुतयो यथा पथ इन्द्र त्वद्यन्तु रातयः ॥ (७)
हे इंद्र! जैसे छोटे पथ राजपथ से मिल जाते हैं, वैसे ही आप की कृपा से सभी को धन की राह मिलती है. (७)
O Indra! Just as small paths meet Rajpath, so by your grace, everyone gets the path of wealth. (7)