सामवेद (अध्याय 4)
त्रिकद्रुकेषु महिषो यवाशिरं तुविशुष्मस्तृम्पत्सोममपिबद्विष्णुना सुतं यथावशम् । स ईं ममाद महि कर्म कर्त्तवे महामुरुँ सैनँ सश्चद्देवो देवँ सत्य इन्दुः सत्यमिन्द्रम् ॥ (१)
उत्तम दिव्य गुणों वाला सोमरस इंद्र को प्राप्त हुआ. शक्तिशाली इंद्र ने विष्णु के साथ सोमरस को पीया. उस सोमरस में जौ का आटा मिलाया. वह तृप्तिकारी और त्रिलोक में व्याप्त था. उस ने इंद्र को महान कार्य करने की भी प्रेरणा प्रदान की. (१)
Someras with the best divine qualities was received by Indra. The powerful Indra drank Someras with Vishnu. Add barley flour to that somersa. He was prevalent in Truptikari and Trilok. He also inspired Indra to do great work.