सामवेद (अध्याय 4)
अयँ सहस्रमानवो दृशः कवीनां मतिर्ज्योतिर्विधर्म । ब्रध्नः समीचीरुषसः समैरयदरेपसः सोचेतसः स्वसरे मन्युमन्तश्चिता गोः ॥ (२)
सूर्य हजारों मनुष्यों का हित करने वाले कवि, देखने योग्य, प्रकाशमान व अंधकारभेदक हैं. वे उषा को भेजते हैं. उन के प्रकाश के सामने चंद्रमा और दूसरे नक्षत्रों की चमक फीकी लगती है. (२)
The sun is a poet who benefits thousands of human beings, is observable, luminous and dark-eyed. They send Usha. In front of their light, the brightness of the moon and other constellations seems to fade. (2)