हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 4.6.5

अध्याय 4 → खंड 6 → मंत्र 5 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 4)

सामवेद: | खंड: 6
त्वया ह स्विद्युजा वयं प्रति श्वसन्तं वृषभ ब्रुवीमहि । सँस्थे जनस्य गोमतः ॥ (५)
हे इंद्र! आप बैल के समान बलवान हैं. जो गोपालको के प्रति क्रोध करते हैं हम उन के प्रति अपने को जोड़ें. आप की सहायता से उचित उत्तर देते हुए उन का विरोध करें. उन्हें दूर करने में आप हमारा साथ दीजिए. (५)
O Indra! You are as strong as a bull. Those who are angry with Gopalko, we associate ourselves with them. Resist them by giving the appropriate answer with your help. You join us in removing them. (5)