हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 4.7.3

अध्याय 4 → खंड 7 → मंत्र 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 4)

सामवेद: | खंड: 7
इन्द्रो मदाय वावृधे शवसे वृत्रहा नृभिः । तमिन्महत्स्वाजिषूतिमर्भे हवामहे स वाजेषु प्र नोऽविषत् ॥ (३)
हे यजमानो! हम यजमान प्रसन्नता और उत्साह की कामना से इंद्र की कीर्ति की बढ़ोतरी करते हैं. छोटेबड़े हर प्रकार के युद्ध में वे हमारी रक्षा करते हैं. रक्षा के लिए उन का आह्वान करते हैं. वे युद्ध में हमारी रक्षा करें. (३)
O hosts! We, the hosts, increase indra's fame with the wish of happiness and enthusiasm. They protect us in every kind of small and big war. Call on them to protect. Let them protect us in war. (3)