सामवेद (अध्याय 4)
उपो षु शृणुही गिरो मघवन्मातथा इव । कदा नः सूनृतावतः कर इदर्थयास इद्योजा न्विन्द्र ते हरी ॥ (८)
हे इंद्र! आप धनवान हैं. आप हमारी प्रार्थना को सुनने की कृपा कीजिए. आप हमें कब अच्छी वाणी वाला बनाएंगे? आप हमारी स्तुतियों को अच्छी तरह सुनने के लिए पधारिए. आप पधारने के लिए अपने घोड़ों को रथ में जोतने की कृपा कीजिए. (८)
O Indra! You are rich. Please listen to our prayers. When will you make us good speeched? Come to hear our praises well. Please plough your horses in the chariot to come. (8)