सामवेद (अध्याय 4)
स घा तं वृषणँ रथमधि तिष्ठाति गोविदम् । यः पात्रँ हारियोजनं पूर्णमिन्द्रा चिकेतति योजा न्विन्द्र ते हरी ॥ (६)
हे इंद्र! आप गायों को जानने वाले (गोविद) हैं. आप रथ में विराजते हैं. आप का रथ शक्तिशाली है. आप अपने घोड़ों को रथ में जोतिए. आप हमारी मनोकामनाएं पूरी करने की कृपा कीजिए. (६)
O Indra! You are the one who knows cows (Govid). You sit in the chariot. Your chariot is powerful. You plough your horses in the chariot. Please fulfill our wishes. (6)