हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 5.1.2

अध्याय 5 → खंड 1 → मंत्र 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 5)

सामवेद: | खंड: 1
स्वादिष्ठया मदिष्ठया पवस्व सोम धारया । इन्द्राय पातवे सुतः ॥ (२)
इंद्र के लिए सोमरस निचोड़ा गया है. हे सोम! आप रसीले हैं. आप प्रसन्नता देने वाले और स्वादिष्ट हैं. आप की धाराएं निरंतर झरें. (२)
Someras has been squeezed for Indra. O Mon! You're succulent. You are delightful and delicious. Your currents flow continuously. (2)