हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 5.11.3

अध्याय 5 → खंड 11 → मंत्र 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 5)

सामवेद: | खंड: 11
आ सोता परि षिञ्चताश्वं न स्तोममप्तुरँ रजस्तुरम् । वनप्रक्षमुदप्रुतम् ॥ (३)
हे यजमानो! सोम घोड़े जैसे वेगवान व स्तुति करने योग्य हैं. वे पानी की तरह प्रवहमान (बहने वाले) हैं तथा प्रकाश की किरणों की तरह कहीं भी शीघ्र पहुंचने वाले हैं. आप सोमरस को निचोड़िए और उसी में जल मिलाइए. उस के बाद उसे गो दूध से सींचिए. (३)
O hosts! Som is as fast and praiseworthy as a horse. They are flowing like water and are going to reach anywhere quickly like rays of light. You squeeze the somers and add water to it. After that, irrigate it with go milk. (3)