सामवेद (अध्याय 6)
इन्द्रो राजा जगतश्चर्षणीनामधिक्षमा विश्वरूपं यदस्य । ततो ददाति दाशुषे वसूनि चोदद्राध उपस्तुतं चिदर्वाक् ॥ (२)
इंद्र चराचर व पृथ्वी की सभी वस्तुओं और धनों के स्वामी हैं. वे दानदाता को सब प्रकार का धन देते हैं. अच्छी तरह स्तुति किए जाने पर वे पर्याप्त धन देते हैं. (२)
Indra is the master of all the things and wealth of the earth. They give all kinds of money to the donor. When praised well, they give enough money. (2)