सामवेद (अध्याय 7)
उच्चा ते जातमन्धसो दिवि सद्भूम्या ददे । उग्रँ शर्म महि श्रवः ॥ (१)
हे सोम! स्वर्गलोक में आप ने जन्म पाया है. आप शक्तिवर्धक, सुखदायी व यशदायी हैं. यजमान भूमिलोक पर अन्न के रूप में आप को प्राप्त करते हैं. (१)
O Mon! You have attained birth in heaven. You are powerful, happy and successful. The hosts receive you in the form of food on the land. (1)
सामवेद (अध्याय 7)
स न इन्द्राय यज्यवे वरुणाय मरुद्भ्यः । वरिवोवित्परि स्रव ॥ (२)
हे सोम! आप धनदाता हैं. आप इंद्र, वरुण और मरुद्गण के लिए प्रवाहित होने की कृपा कीजिए. (२)
O Mon! You are a money giver. Please flow for Indra, Varuna and Marudgana. (2)
सामवेद (अध्याय 7)
एना विश्वान्यर्य आ द्युम्नानि मानुषाणाम् । सिषासन्तो वनामहे ॥ (३)
हे सोम! आप की कृपा से हम ने मनुष्य को प्राप्त होने योग्य सब सुख (वैभव) पाया है. फिर भी हम सेवा भावना से आप की स्तुति करते हैं. (३)
O Mon! By your grace, we have found all the happiness (splendour) that man can get. Yet we praise you with a spirit of service. (3)
सामवेद (अध्याय 7)
पुनानः सोम धारयापो वसानो अर्षसि । आ रत्नधा योनिमृतस्य सीदस्युत्सो देवो हिरण्ययः ॥ (४)
हे सोम! आप सोने की तरह चमकते हैं. आप यज्ञ स्थान में विराजिए. पानी मिला कर छाने जाने पर धारा रूप में आप कलश में पधारते हैं. आप धन देने वाले हैं. (४)
O Mon! You shine like gold. You sit in the place of sacrifice. When you add water and filter it, you come to the kalash in the form of a stream. You are going to give money. (4)
सामवेद (अध्याय 7)
दुहान ऊधर्दिव्यं मधु प्रियं प्रत्नँ सधस्थमासदत् । आपृच्छ्यं धरुणं वाज्यर्षसि नृभिर्धौतो विचक्षणः ॥ (५)
यजमानों ने सोमरस छाना है. यह मधुर और आनंददायी है. यह अपने प्राचीन स्थान पर पहुंचता है. हे सोम! आप खास निरीक्षण करने वाले हैं. जो यजमान अच्छा यज्ञ करने की भावना रखते हैं, आप उस यजमान पर अपनी कृपा दृष्टि रखते हैं. (५)
The hosts have filtered someras. It is sweet and enjoyable. It reaches its ancient place. O Mon! You are going to do a special inspection. The host who has the feeling of performing a good yajna, you keep your grace on that host. (5)
सामवेद (अध्याय 7)
प्र तु द्रव परि कोशं नि षीद नृभिः पुनानो अभि वाजमर्ष । अश्वं न त्वा वाजिनं मर्जयन्तोऽच्छा बर्ही रशनाभिर्नयन्ति ॥ (६)
हे सोम! आप जल्दी हमारे यज्ञ में पधारिए. आप जल्दी कलश में स्थापित हो जाइए. यजमान आप को छानते हैं. छन कर आप हवि के रूप में हवि अन्न को प्राप्त कीजिए. शक्तिमान घोड़ों को शुद्ध करने की तरह यजमान आप को शुद्ध करते हैं. लगाम पकड़ कर घोड़े को जैसे ले जाया जाता है, वैसे ही अंगुलियों से यजमान आप को यज्ञ स्थान तक ले जाते हैं. (६)
O Mon! You come to our yagna early. You quickly get installed in the urn. Hosts filter you. Filter and get havi food in the form of havi. Like purifying powerful horses, hosts purify you. Just as the horse is taken by holding the reins, the hosts take you to the yajna place with the fingers. (6)
सामवेद (अध्याय 7)
स्वायुधः पवते देव इन्दुरशस्तिहा वृजना रक्षमाणः । पिता देवानां जनिता सुदक्षो विष्टम्भो दिवो धरुणः पृथिव्याः ॥ (७)
हे सोम! आप उत्तम कोटि के अस्त्रशस्त्र वाले शत्रुनाशक, संरक्षक, उपद्रव दूर करने वाले, पालक, संरक्षक, देवताओं को उत्पन्न करने वाले हैं तथा पृथ्वीलोक को धारण करते हैं. आप स्वर्गलोक को विशेष आधार देते हैं. ऐसा दिव्य सोमरस यजमान छानते हैं. (७)
O Mon! You are the destroyer of the best quality weapons, protector, destroyer of nuisance, guardian, protector, creator of gods and wear the earthland. You give special basis to heaven. Such a divine Someras hosts filter. (7)
सामवेद (अध्याय 7)
ऋषिर्विप्रः पुरएता जनानामृभुर्धीर उशना काव्येन । स चिद्विवेद निहितं यदासामपीच्या३ं गुह्यं नाम गोनाम् ॥ (८)
उशना ऋषि विद्वान्, परमज्ञानी, वैदिक कर्मकांड में दक्ष, धीर, प्रकाशमान और नेतृत्व करने वाले हैं. उन्हीं उशना ऋषि ने स्तोत्रों के माध्यम से गायों में गुप्त रूप से रहने वाले सोम रस को मेहनत से प्राप्त किया. (८)
Ushna Rishi is a scholar, supreme scholar, master of Vedic rituals, patient, enlightening and leading. The same Ushna Rishi diligently obtained som rasa, which lived secretly in cows, through stotras. (8)