हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 7.4.8

अध्याय 7 → खंड 4 → मंत्र 8 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 7)

सामवेद: | खंड: 4
तरोभिर्वो विदद्वसुमिन्द्रँ सबाध ऊतये । बृहद्गायन्तः सुतसोमे अध्वरे हुवे भरं न कारिणम् ॥ (८)
बच्चे अपनी सहायता के लिए जैसे अपने भरणपोषण करने वालों को पुकारत हैं, वैसे ही हम यजमान अपनी सहायता के लिए इंद्र को पुकारते हैं. इंद्र वेगवान घोड़ों वाले व वैभवशाली हैं. हे याजको! आप सोमयज्ञ में अपनी रक्षा के लिए बृहत्साम का गायन करते हुए उन की उपासना कीजिए. (८)
Just as children call out to those who feed us for their help, we hosts call indra for our help. Indra is fast-paced and glorious. Hey Yazko! You worship him while singing Brihatsam to protect yourself in Somyagya. (8)