सामवेद (अध्याय 7)
वार्ण त्वा यव्याभिर्वर्धन्ति शूर ब्रह्माणि । ववृध्वाँसं चिदद्रिवो दिवेदिवे ॥ (९)
हे इंद्र! आप वज्रधारी व वीर हैं. नदियां जैसे समुद्र तक पहुंच कर उसे बढ़ाती हैं, उसी प्रकार हमारी स्तुतियां आप तक पहुंच कर आप के यश को और बढ़ाती हैं. (९)
O Indra! You are vajradhari and veer. Just as rivers reach the sea and increase it, so our praise reaches you and increases your fame. (9)