हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 8.1.12

अध्याय 8 → खंड 1 → मंत्र 12 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 8)

सामवेद: | खंड: 1
त्रिकद्रुकेषु चेतनं देवासो यज्ञमत्नत । तमिद्वर्धन्तु नो गिरः ॥ (१२)
यज्ञ उत्साहवर्धक है. सभी देव यज्ञ के तीन दिनों में यज्ञ की बढ़ोतरी करते हैं. हमारी स्तुति और वाणियां भी उस यज्ञ की बढ़ोतरी करें. (१२)
Yajna is encouraging. All the gods increase the yajna in the three days of the yajna. May our praise and words also increase that yajna. (12)