हरि ॐ

सामवेद (Samved)

सामवेद 8.1.2

अध्याय 8 → खंड 1 → मंत्र 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

सामवेद (अध्याय 8)

सामवेद: | खंड: 1
पुरुहूतं पुरुष्टुतं गाथान्या३ँ सनश्रुतम् । इन्द्र इति ब्रवीतन ॥ (२)
हे यजमानो! आप इंद्र की उपासना कीजिए. वे बहुत प्रसिद्ध हैं. वे यज्ञ में अनेक लोगों द्वारा बुलाए जाते हैं. अनेक लोगों द्वारा उन की उपासना की जाती है. (२)
O hosts! You worship Indra. They are very famous. They are called by many people in the yajna. He is worshiped by many people. (2)