यजुर्वेद (अध्याय 10)
इन्द्र॑स्य॒ वज्रो॑ऽसि मि॒त्रावरु॑णयोस्त्वा प्रशा॒स्त्रोः प्र॒शिषा॑ युनज्मि। अव्य॑थायै त्वा स्व॒धायै॒ त्वाऽरि॑ष्टो॒ अर्जु॑नो म॒रुतां॑ प्रस॒वेन॑ ज॒यापा॑म॒ मन॑सा॒ समि॑न्द्रि॒येण॑ ॥ (२१)
आप इद्र देव के वज्र हैं. मित्र और वरुण देव आप के अस्त्रशस्त्र हैं. हम आप को (शत्रुनाश हेतु) नियुक्त करते हैं. आप के लिए स्वाहा. शत्रुनाशक हेतु स्वाहा. अर्जुन हेतु स्वाहा. मरुतों के लिए स्वाहा. हम मन व इंद्रियों से आप के साथ हैं. (२१)
You are the thunderbolt of Idr Dev. Friends and Varun Dev are your weapons. We appoint you (to destroy the enemy). Swaha for you. Swaha for enemies. Swaha for Arjuna. Swaha for the Maruts. We are with you from the mind and senses. (21)