यजुर्वेद (अध्याय 11)
मि॒त्रस्य॑ चर्षणी॒धृतोऽवो॑ दे॒वस्य॑ सान॒सि। द्यु॒म्नं चि॒त्रश्र॑वस्तमम् ॥ (६२)
हम पोषक शक्ति से प्रकाशवान, मित्र देवता के शाश्वत तथा आश्चर्यजनक पदार्था से युक्त ऐश्वर्य धारण करें. (६२)
Let us wear opulence with the power of nourishment, full of the eternal and wonderful substance of the friendly deity. (62)